इतिहास
पी डी आई एल की ऐतिहासिक प्रमुख घटनाएँ
- वर्ष 1951 में तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से भारतीय उर्वरक निगम लिमिटेड की एक तकनीकी इकाई के रूप में पी डी आई एल की स्थापना की गई।
- वर्ष 1961 में इसकी गतिविधियों का विस्तार हुआ और यह एफ सी आई का योजना एवं विकास प्रभाग (पी एवं डी) बन गया।
- वर्ष 1978 में एफ सी आई की पुनसंरचना हुई र्और यह पी एवं डी प्रभाग एक स्वतंत्र सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के रूप में अस्तित्व में आया, जिसका 7 मार्च 1978 को फर्टिलाइजर प्लानिंग एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड (एफ पी डी आई एल) के नाम से निगमन हुआ।
- वर्ष 1981 में उर्वरक एवं रसायन के क्षेत्रों के अतिरिक्त अन्य विविधीकृत क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से एफ पी डी आई एल का नाम परिवर्तित होकर प्रोजेक्ट्स एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड (पी डी आई एल) हो गया।
- वर्ष 2011 में इसे मिनि-रत्न-I की उपाधि मिली।
अपनी स्थापना के समय से ही पी डी आई एल भारत में स्थापित प्राय: सभी तृणमूल उर्वरक परियोजनाओं के डिजाइन, अभियंत्रणा एवं सम्बंधित संरचना के क्षेत्र में अपनी सेवाएँ प्रदान कर रही है।
कृषि क्षेत्र के लिए आवश्यक आधार नाइट्रोजन्स उर्वरक के उपभोग एवं उर्वरक उत्पादन की स्थापित क्षमता में भारत का चतुर्थ स्थान है। भारत में नाइट्रोजनस उर्वरक उद्योग की स्थापित क्षमता का लगभग दो तिहाई भाग पी डी आई एल द्वारा अभिकल्पित, अभियंत्रित एवं संरचित है।